Tuesday, September 23, 2008

मिट गया गुलशन हमारा...

मिट गया गुलशन हमारा,
वो नजारे ना रहे !
हम तो हम ही हैं,
मगर अब वो,
हमारे न रहे !!
मिट गया गुलशन हमारा .. !!
एक माली ने उजारा,
मेरा प्यारा चमन!
कर दिया कंगाल,
लूटा दिल का चैन-ओ-अमन!!
कौन सी किसकी खता की,
ये सजा हम पा रहे !
मिट गया गुलशन हमारा... !!
ऐ फिजां तुझे है पता क्या,
मेरा हाल-ऐ-जिगर !
है कयामत आने वाली,
थोडी देर ठहर !!
जी रहा जिसके लिए,
अब वो सहारे न रहे !
मिट गया गुलशन हमारा ... !!
ऐ सुनहरे फूल! मुझसे,
है बता क्या वास्ता ?
क्यूँ सरेआम रोकते हो,
तुम हमारा रास्ता ?
यूँ निगाहों में समा ,
कर क्यूँ हमें तड़पा ?
मिट गया गुलशन हमारा ... !!
- करण समस्तीपुरी

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