Thursday, August 28, 2008

कब तक बैठोगे मौन तपस्वी?

कब तक बैठोगे मौन तपस्वी?
अब अपनी आँखें तो खोल !
बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन,
बोल क्रांति के तीखे बोल !!
रे सतत समाधिलीन योगीश्वर,
जाग जाग अब शीघ्र जाग !
खींच खड़ग शान्ति मयान से,
खेल अराती रक्त से फाग !
शत्रु की कलुषित शक्ति को,
तुम तलवार तुला पे तोल,
बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन,
बोल क्रांति के तीखे बोल !

केसरिया क्यारी काश्मिरी,
हो रही रक्त से आज लाल !
लाचार मनुजता सिसक रही,
डस रहे दनुज के विषम व्याल !
धर गरूर रूप दे त्रान इन्हे,
मांग रही माँ दूध का मोल !
बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन,
बोल क्रांति के तीखे बोल !!

योग-मुद्रा में तुम हो मस्त !
हो रही मातृभूमि त्रस्त !!
हे धीर-वीर कर के विचार,
ध्यान त्याग, धर सस्त्र हस्त !!
कपटी-कुंजर की सेना में,
तुम मृगराज सरीखे डोल !
बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन,
बोल क्रांति के तीखे बोल !!

उर प्रजातंत्र का घायल है !
फिर भी तू शान्ति का कायल है !!
हाथों में है चूडी कंगन !
या पांव में तेरे पायल है !!
स्मरण सौर्य आर्यों का कर,
दे बिखरा सस्त्र- छटा अनमोल !
बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन,
बोल क्रांति के तीखे बोल !!
- करण समस्तीपुरी

1 comment:

आशीष "अंशुमाली" said...

अब तो अपनी आँखें खोल !

कवि की इन पंक्तियों को साधुवाद।